IAS Puja Khedkar Controversy: इन दिनों परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर विवादों से घिरी हुई है। उन पर झूठी विकलांगता, जाति के दावों पर आपराधिक आरोप लगाया जा रहे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने झूठे विकलांगता का दिखावा कर विकलांगता कोटे का फायदा उठाकर सिविल सेवाओं में स्थान प्राप्त किया है और अब वह इसका प्रामाण देने में असफल रही है।
इस मामले पर केंद्र द्वारा स्थापित एक सदस्यीय पैनल इस मामले की जांच कर रहा है। झूठी विकलांगता, जाति के दावों के आपराधिक आरोप के अलावा गलत बयानी या तथ्यों को दबाने का दोषी पाने की भी आशंका है। अगर यह अभी आरोप सही पाए जाते है, तो इसके लिए संभावित रूप से पूजा को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
इस मामले में मुख्य फोकस सत्यापन प्रक्रिया पर है। सवाल यह है कि जारीकर्ता प्राधिकारी द्वारा उचित जांच की गई थी या नहीं। उनकी आईएएस नियुक्ति के लिए ‘बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूबीडी)’ के रूप में वर्गीकृत किए जाने के बावजूद उनकी विकलांगता की पुष्टि करने के लिए एम्स दिल्ली में आवश्यक चिकित्सा परीक्षणों में शामिल होने में उनकी विफलता की भी जांच की जा रही है।
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सूत्रों के अनुसार, पैनल अपने निष्कर्ष डीओपीटी को प्रस्तुत करेगा, जो बाद में महाराष्ट्र सरकार को सिफारिशों के साथ रिपोर्ट भेजेगा, जिसमें पूजा को महाराष्ट्र कैडर का आवंटन दिया गया है। यदि उसे अपने ओबीसी और विकलांगता प्रमाणपत्रों में जालसाजी करने का दोषी पाया जाता है, तो राज्य सरकार द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है और इसके साथ ही उन पर जालसाजी और धोखे के लिए संभावित आपराधिक आरोप लगाए जा सकते हैं।
डीओपीटी पैनल सामाजिक न्याय मंत्रालय को भी पूजा की ओबीसी स्थिति की सत्यता को समझने के लिए और इस मामले पर विचार करने के लिए शामिल किया जा रहा है। यह विवाद और तेजी से तब फैला, जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित होने के दावों के बावजूद, हाल ही में लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार ने 40 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा किया, जिसमें खेडकर के नाम पर करोड़ों की संपत्ति भी पंजीकृत थी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, यह कोई पहला मामला नहीं है, जो हर साल PwBD श्रेणी में चयन के लिए उम्मीदवारों द्वारा गलत विकलांगता के दावे करने के मामलों को उजागर करता है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह व्यक्ति आम तौर पर अनिवार्य एम्स मेडिकल परीक्षा से बचते हैं और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में प्रक्रिया को चुनौती देते हैं, लेकिन परीक्षा में असफल होने के बाद उन्हें नियुक्ति नहीं दी जाती है।